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Friday, December 25, 2015
कप कपा रही ये वादियां...
ओढ़ कर ये बर्फीली चादर
कप कपा रही ये वादियां
ढल रही है रातें ये सोचकर
क्यों रो रही ये वादियां
चाँद के किरण से तो
मोतियों सी चमक रही ये वादियां
सूरज के ओजस्वी किरण पड़ते ही
खिल खिला उठेंगी ये वादियां...
- रजनीकांत कुमार
2 comments:
Harshita Joshi
January 19, 2016 at 1:28 AM
वाह जी कप कपा रही ये वादियां
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Kumar Rajnikant
January 15, 2018 at 9:48 PM
Thank you so much ji...
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वाह जी कप कपा रही ये वादियां
ReplyDeleteThank you so much ji...
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